संविधान दिवस की 70वीं वर्षगांठ पर आयोजित राजस्थान विधानसभा में संबोधित किये- मुख्यमंत्री अशोक गहलोत

 



जयपुर( स्मार्ट समाचार)संविधान दिवस की 70वीं वर्षगांठ पर आयोजित राजस्थान विधानसभा के विशेष सत्र में राजस्थान के मुख्यमंत्री ने सम्बोधन में कहा कि 
मैं आपका आभारी हूं कि आपने हमारी भावनाओं को समझा और 2 दिन का अवसर दिया सबको। भारत के संविधान दिवस के उपलक्ष्य में संविधान के बारे में, संविधान की उपलब्धियों के बारे में, संविधान की यात्रा हुई 70 साल की उसके बारे में हम सबको सोचने का, आत्म चिंतन करने का, मन में संकल्प करने का और देश को आगे बढ़ाने का, क्या संभावनाएं हो सकती है, कितनी उपलब्धियां हुई है उसके बारे में हम लोग चर्चा कर सकें। आपकी अध्यक्षता में जब मीटिंग हुई तब भी तय हुआ था कि हम लोग कुछ सीमाओं में रहकर के चर्चा करेंगे और मैं समझता हूं कि बाय इन लार्ज 2 दिन से इसका पालन भी किया गया, आज भी कोई कारण नहीं था थोड़ी गरम बहस हो गई और मैं मानता हूं कि नेता प्रतिपक्ष महोदय इनका कोई कसूर नहीं है क्योंकि यह संविधान उपज जो है त्याग की, कुर्बानी की, बलिदान की वह किसने किया आपको मालूम है, तो आप क्या बोलते हैं आपको पता है आप बोल क्या सकते थे इसलिए आपकी जो उपलब्धियां है एनडीए गवर्नमेंट की वह बताना आपके लिए लाजमी था, वह आपने बताई और हमारे मित्रों ने कुछ अति उत्साह में आपको डिस्टर्ब किया उसके लिए मैं क्षमा चाहता हूं। पर आपके बारे में जानता हूं कि, मैं समझ रहा था आप जब बोल रहे थे कि लंबा संघर्ष चला आजादी के लिए कितने बड़े त्याग और कुर्बानियां करी गई कांग्रेस के नेतृत्व में की गई, महात्मा गांधी के सानिध्य में की गई, गोपाल कृष्ण गोखले, लाला लाजपत राय, विपिन चंद्र पाल, लोकमान्य गंगाधर तिलक से लगा कर के पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद, डॉक्टर अंबेडकर की भूमिका लंबा इतिहास देश का है। पूरा देश इतिहास पढ़ता भी है समझता भी है और उसी रूप में देश चल रहा है लंबी यात्रा में संविधान के बारे में मेरे मित्रों ने करीब 31 लोगों ने पार्टिसिपेट किया उनको मैं धन्यवाद देना चाहता हूं और अच्छे ढंग से उन्होंने अपनी बात रखी। 
मूल भावना क्या है माननीय अध्यक्ष महोदय आपने कल जब सबको बताया वह मूल भावना जो है वह उस वक्त में भी मौजूद थे उस समय समस्याएं थी देश के सामने पर क्योकि लंबा संघर्ष हुआ था, संघर्ष के जो अनुभव थे खट्टे मीठे, करो और मरो का नारा दिया गया गांधी जी के द्वारा, लोग जेलों में बंद किए गए बार-बार क्या-क्या नहीं किया गया पंडित नेहरू जैसी महान हस्ती जिसके बारे में आज सोशल मीडिया पर क्या-क्या नहीं लिखते हैं, जैसी सोच वही सोशल मीडिया में आ रही है, दुख होता है कि एक महान विभूति महापुरुष 10 साल से अधिक जेल में रहे हो, 3250 दिवस जेल में बिताए हो वह जेल में होते थे उनकी धर्मपत्नी सड़कों पर आंदोलन करती थी, वह जेल में होते थे तो इंदिरा गांधी जब बच्ची थी उनको पत्र लिखा करते थे भारत एक खोज पुस्तिका बन गई, पूरी दुनिया पढ़ती है तो लगता है कि एक ऐसा नौजवान जो मोतीलाल नेहरू जैसे अमीर व्यक्ति का बेटा था सब कुछ छोड़ दिया और जेल में रह करके ऐसी किताबें लिख रहा है, देश की यात्राएं कर रहा है उस सोच का परिणाम था कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी हिंदू महासभा के थे उनको साथ लिया, आजादी के बाद में, अंबेडकर साहब एक्सपर्ट थे विचार नहीं मिलते थे कांग्रेस से उनको मालूम है आपको, गांधी और अंबेडकर के विचार भी नहीं मिलते थे कई मायनों में उस वक्त आपने जो अभी कहा क्या माहौल था, क्या बड़े दिल रखा करते थे, विचार नहीं मिलते थे तब भी मिलकर चलते थे। देश हित में क्या हो वहां श्यामा प्रसाद मुखर्जी के अनुभव भी काम आ सकते हैं उनको भी साथ लो, उद्योग मंत्री बनाओ, डॉ आंबेडकर की एक्सपर्टाइज्ड है लीगल के अंदर उनको साथ लेओ कोई कांग्रेस में नहीं थे दो बार चुनाव हार गए थे लोक सभा के, किसी ने कहा टिकट नहीं दिया उनको ना उन्होंने मांगा और ना वह कांग्रेस में थे, दो बार लोकसभा के चुनाव हार गए और दो बार पंडित नेहरू उनको राज्यसभा में लेकर आए लॉ मिनिस्टर बनाया यह हम भूल जाते है। पूरा इतिहास भरा पड़ा है इस देश का महान इतिहास है वह स्वर्णिम अक्षरों में लिखा गया है और जब संविधान सभा बनी आप सब लोगों ने विस्तार से बताया किस प्रकार से कितने पेज की बनी है, हस्तलिखित लिखी हुई है, हिंदी और इंग्लिश दोनों में, लाइब्रेरी के अंदर संजोई हुई है और राजसमंद से आने वाली विधायिका नीचे देख रही हैं मेरी बात नहीं सुन रही हैं, कल जब आप बोल रही थी तब आपने अच्छा चित्रण किया उसका मैं तारीफ कर रहा हूं आप घबराओ मत, कि आपने बताया किस-किस रूप में राम, कृष्ण , गुरु नानक देव, अकबर किस प्रकार चित्रण किया गया हर पेज के ऊपर। इस प्रकार इस रूप में कितने प्रयास किए गए होंगे दो ढाई साल लगे होंगे, शानदार संविधान हमारे सामने है।
हिंदुस्तान-पाकिस्तान साथ में आजाद हुए थे यह हमें भूलना नहीं चाहिए और हमें गर्व होना चाहिए नेता प्रतिपक्ष महोदय 70 साल के बावजूद भी इंदिरा गांधी चुनाव हार गई एक सेकेंड नहीं लगाया मोरारजी भाई को सत्ता सौंप दी है यह है मूल भावना संविधान की, कितने बदले प्रधानमंत्री 1 वोट से हार गए वाजपेई जी, चेहरे पर शिकन नहीं दोबारा मैदान में उतर गए और चुनाव जीतकर आ गए। 70 साल का सफर किसे कहते हैं पाकिस्तान में बार-बार सैनिकों का शासन, प्रधानमंत्रियों को जेल, फांसी के फंदे पर चढ़ा दिया भुट्टो साहब को, कहां हिंदुस्तान और कहां पाकिस्तान फिर भी पाकिस्तान का भय दिखा कर के, राष्ट्रवाद ओ हो हो हिंदुस्तान के सामने पाकिस्तान चीज क्या है? वहां का प्रधानमंत्री खुद कहता है हम हिंदुस्तान का मुकाबला नहीं कर सकते युद्ध के माध्यम से, कहां हम और कहां वो? पर जिस रूप में माहौल बनाया गया है देश के अंदर यह संविधान की भावना के अनुकूल है? बजाय इसके कि हम आज भी जो मूलभूत भावनाएं संविधान की है उसको लेकर के जो कमियां रहीं 70 साल के अंदर उसको दूर करने का प्रयास करें, गरीबी और अमीरी की खाई बढ़ती जा रही है, छुआछूत आज भी है जो मानवता पर कलंक है आप समझ सकते हो, कलंक है मानवता पर आज भी हम सब पर कलंक है देशवासियों पर भी हम आज कोई चर्चा नहीं करते हैं उस पर, आजादी के पहले माननीय अध्यक्ष महोदय हमारे फ्रीडम फाइटर चाहे जय नारायण व्यास हो, माणिक्य लाल वर्मा हो, राम नारायण चौधरी हो किस-किस के नाम लेवे, उस वक्त में संघर्ष करते थे सड़कों पर आकर मंदिर में प्रवेश कराने का प्रयास करते थे, वह जमाना था जब छुआछूत का बहुत ज्यादा प्रचलन था, उस वक्त में मंदिरों में प्रवेश करवाना हरिजनों को यह आगे बढ़ते थे और पीछे कार्यकर्ता जाते थे वह कांग्रेस का नेतृत्व था उस जमाने के अंदर। इस रूप में देश आगे बढ़ा है, आजाद हुआ है, आजादी कोई ऐसे ही नहीं मिली है चंद्रशेखर, भगत सिंह आज नाम लेते हैं, सुभाष चंद्र बोस आपने हमेशा कोशिश करी की कांग्रेस के लोग तो इनके खिलाफ थे, आप नौजवान पीढ़ी को गुमराह करते हो कांग्रेस के लोग तो सुभाष चंद्र बोस के खिलाफ थे, गांधीजी उनके खिलाफ थे, भगत सिंह से मिलने पंडित नेहरू जी गए नहीं हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी बोलते हैं और जब रिकॉर्ड आता है कब गए किस तारीख को गए थे तब चुप हो जाते हैं। श्यामा प्रसाद मुखर्जी की लंदन में डेथ हुई और पंडित नेहरू ने लाश लाने नहीं दी हिंदुस्तान के अंदर जबकि श्यामा प्रसाद मुखर्जी की डेथ जम्मू-कश्मीर में हुई थी, बताइए आप क्या हो रहा है देश के अंदर? किस दिशा में हम जा रहे हैं, प्रधानमंत्री देश के कई बार ऐसी बातें बोल चुके है लंबी लिस्ट है वक्त जाया नहीं करूंगा आपका। आप सब जानते हैं दिल के अंदर आपके भी है कि सब क्या हो रहा है पर मजबूरी आपकी भी है, पर आज पूरा हिंदुस्तान जानता है कि प्रधानमंत्री जी ने कहां-कहां गलत वाक्य बोले हैं, चल रहा है। अमेरिका में इंग्लैंड में जहां जाएंगे दुनिया के इतिहास में हमारा गर्व होना चाहिए प्रधानमंत्री जा करके बोल रहे हैं, मान-सम्मान बढ़ रहा है देश का, प्रधानमंत्री का मान-सम्मान बढ़ रहा है तो क्यों बढ़ रहा है? 70 साल की तपस्या है कांग्रेस की सरकारों की तब बढ़ रहा है। जहां सुई नहीं बनती थी माननीय नेता प्रतिपक्ष जी सुई नहीं बनती थी देश के अंदर बाहर से आती थी, 33 करोड़ देवी देवता थे देश के अंदर आज 130 करोड़ देवी देवता है। भीख मांगते थे अमेरिका से वह दिन आपको भी याद है और मुझे भी याद है हालांकि हम लोग आजादी के बाद में पैदा हुए हैं, बिजली क्या होती है लोग नहीं समझते थे आजादी के वक्त में गांव और ढाणियों तक नहीं समझते थे, सावन भादो की बिजली कड़कती थी उसको ही मानते थे यह बिजली कड़क रही है, क्या 4 साल के अंदर बिजली आ गई देश भर के अंदर? सड़के पहुंच गई गांव के अंदर, बिजली पहुंच गई, पानी पहुंच गया, स्कूल खुल गई, अस्पताल खुल गए सब 6 साल में हो गया? मोदी जी प्रधानमंत्री बने और इसरो में गए और 4 महीने बाद मंगल ग्रह पर उपग्रह छोड़े गए, वाह वाह क्या ठाठ है मोदी जी के। 
लंबा इतिहास है अगर आप दिनभर चर्चा करवाएंगे तो आप सब की बोलती बंद हो जाएगी यह इतिहास है कांग्रेस का। आप लोगों ने उंगली नहीं कटाई अपनी और लंबी चौड़ी बातें कर रहे हो आप लोग, कुछ तो स्वीकार करो कि भाई उस वक्त में हम लोग समझ नहीं पाए थे, RSS समझ नहीं पाई थी इसलिये हमने 7 दिन दिया आंदोलन का कहने में क्या हर्ज पड़ता है, सबको मालूम है कि RSS ने साथ नहीं दिया, वह खुद जानते हैं इस बात को तब ही कल किसी ने कहा जब संविधान बन गया तब भी उस पर टिप्पणी की गई, मनुस्मृति के बात की गई तब आप मुझे बताइए मालूम है कि RSS ने साथ नहीं दिया, बीजेपी थी ही नहीं उस वक्त जनसंघ बाद में बना फिर उसके बाद में स्वीकार करने में हर्ज क्या है?
महात्मा गांधी को कभी माना नहीं, अंबेडकर को कभी माना नहीं, आरक्षण को कभी स्वीकार नहीं किया मुझे मालूम है बचपन के अंदर देखो ईमानदारी की बात सोचो आपका दिल कह रहा होगा वह झूठ नहीं बोल सकता आप झूठ बोल सकते हो, मैं जानता हूं बचपन के अंदर क्या जनसंघ था पैदा ही हुआ था आज भैरों सिंह जी शेखावत साहब मौजूद नहीं है, शुरुआत करी 2,4,6,8 तक आते थे विधानसभा के अंदर मेंबर पर हां यहां तक पहुंचे, 2 मेंबर आए थे आपके पार्लिमेंट के अंदर मैं नेता था पार्लियामेंट के अंदर दो से आज आप दूसरी बार सत्ता में आ गए हो कितने बड़े गर्व की बात है यह, यह संविधान की उपलब्धि है कि आप यहां तक पहुंचे हो और कांग्रेस नेताओं ने संविधान बनाया था आपने संविधान नहीं बनाया। संविधान बनाने में आप की कोई भूमिका नहीं है स्वीकार करो इस बात को, क्यों नहीं स्वीकार करते हो? आपका कोई योगदान नहीं, आपका कोई संबंध नहीं संविधान से, हां संविधान बनने के बाद में सत्ता में आपको आना है लोकतंत्र कायम है तो आपको उस रूप में चलना है इसलिए आप संविधान को स्वीकार कर रहे हो।
जिस रूप में देश चल रहा है मोदी है तो मुमकिन है, मोदी है तो मुमकिन है, कब तो राज्यपाल महोदय ने रात को भेजा संदेश मोदी जी को राष्ट्रपति शासन समाप्त करो पता नहीं कब भेजा किसी को, कब मोदी जी ने कैबिनेट मीटिंग बुलाई किसी को पता नहीं है, कब उन्होंने रिकमेंड किया राष्ट्रपति महोदय को राष्ट्रपति महोदय बहुत भले आदमी है, बहुत सज्जन व्यक्तित्व के धनी है पता नहीं वह सोए हुए होंगे, कब उठाया होगा, नींद में थे या नहीं थे पता नहीं सुबह 5:47 पर आदेश निकलता है गृह मंत्रालय से राष्ट्रपति शासन समाप्त, 8 बजे  शपथ हो जाती है मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री, क्या ठाठ है... बाद में 8:00 बजे शपथ और 8:15 बजे ट्वीट प्रधानमंत्री जी का फडणवीस जी को बधाई हो, बधाई हो, बधाई हो और फडणवीस जी का वापस मोदी है तो मुमकिन है, वाह क्या ठाठ है बताइए आप। पहले सुनते थे राजा महाराजाओं के महलों के अंदर षडयंत्र होते थे और सुबह तख्ते पलट जाते थे, कमाल कर दिया आप लोगों ने कमाल कर दिया मानना पड़ेगा आपको, हम लोगो में इतना साहस नहीं, दुस्साहस है तो आपमें है साहस है तो आप में है, मोदी है तो मुमकिन है मैं चिंता ग्रस्त हो गया हूं कि मोदी है तो मुमकिन है पता नहीं लोकतंत्र कब तक चलेगा मोदी है तो मुमकिन है।