थार में अनार, खजूर के बाद अब किसानों को रास आ रहा एलोविरा

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बाड़मेर@ अभी तक ग्वार-बाजरा और तिलहन की परम्परागत खेती करने वाले किसानों ने एक कदम अपनी उन्नति के लिए बढ़ाया है। सरहदी बाड़मेर के खेतिहारों ने कृषि विज्ञान केंद्र दांता से जानकारी और ज्ञान लेकर कई जगह किसानों ने अपने खेतों का नजारा ही बदल दिया है। यहाँ के अन्नदाताओं ने खेती-किसानों का रुख बदलते हुए अपने खेतों में बेहद कम पानी मे होने वाले आमदनी वाली उपज को नया साथी बना दिया हैं।


परम्परागत खेती करने वाले किसान एलोवेरा जैसी औषधीय फसलों के जरिए अपनी आय को दोगुना कर रहे हैं। यहां उपजे एलोवेरा के पौधों को बड़ी कंपनियों में सप्लाई किया जा रहा। सरहदी बाड़मेर में परम्परागत खेती करने वाले बड़े पैमाने पर किसान हैं। उनकी मेहनत का वाजिब दाम नहीं मिल पाता।


बाजरा,तिलहन, मूंग और मोठ के लिए उन्हें लंबे समय तक सेठ साहूकारों के चक्कर काटने पड़ते थे। ऐसे में कुछ किसानों ने अपनी खेती का ट्रेंड ही बदल दिया। कृषि विज्ञान केंद्र दांता की मदद से किसानों ने औषधीय फसलों की खेती की तरफ कदम बढ़ाए हैं। सरहदी बाड़मेर में एलोवेरा को लेकर किसानों का रुख तेजी से सकारात्मक हुआ है। कृषि विज्ञान केंद्र दांता की कृषि विशेषज्ञ डॉक्टर सोनाली शर्मा इस क्षेत्र में अब तक सैकड़ो किसानों को इस उन्नत खेती के बारे में तफशील से जानकारी दे चुकी है उनके मुताबिक बेहद कम पानी मे उगने वाली यह औषधीय खेती अब तेजी से जिले के किसानो को रास आ रही है। एलोवेरा से नाता जोड़ने वाले किसानों को उनकी आमदनी में बेहद इज़ाफ़ा भी हो रहा है।