महिलाओं को सिखा रही है, आत्मनिर्भरता का मंत्र मंजू जाखड़

महिलाएं अपनी शक्ति को पहचाने = मंजू जाखड़ महिलाओं को सिखा रही है, आत्मनिर्भरता का मंत्र मंजू जाखड़ का स्मार्ट समाचार से हुआ साक्षात्कार l


- जयपुर। हमारे समाज में महिला अपने जन्म से लेकर मृत्यु तक एक अहम किरदार निभाती है। पुरुष प्रधान समाज में महिला की योग्यता को आदमी से कम देखा जाता है। सरकार द्वारा जागरूकता फैलाने वाले कई कार्यक्रम चलाने के बावजूद महिला की जिंदगी पुरुष की जिंदगी के मुक़ाबले काफी जटिल हो गयी है। महिला को अपनी जिंदगी का ख्याल तो रखना ही पड़ता है साथ में पूरे परिवार का भी ध्यान रखना पड़ता है। वह पूरी जिंदगी बेटी, बहन, पत्नी, माँ, सास, और दादी जैसे रिश्तों को ईमानदारी से निभाती है। इन सभी रिश्तों को निभाने के बाद भी वह पूरी शक्ति से नौकरी करती है ताकि अपना, परिवार का, और देश का भविष्य उज्जवल बना सके। आज हम ऐसी ही एक महिला के बारे में बताने जा रहे है जिन्होंने अपने कठिन प्रयासों से महिलाओं को समाज में आगे आने का संदेश दिया। जिनका नाम है मंजू जाखड़। मंजू जाखड़ गोविन्दगढ़ पंचायत समिति के ग्राम सान्दरसर हस्तेड़ा में एक सरकारी विद्यालय में प्री प्राइमरी अध्यापिका हैं। इसके साथ ही पशुपालकों व किसानों के हितार्थ के लिए हमेशा कार्य करती आ रही है। आमेर तहसील के खोराश्यामदास गांव में रहने वाली मंजू जाखड़ एक शिक्षित महिला है। जिसने अपनी प्रतिभा का लौहा समाज में मनवाया है, साथ ही महिलाओं को शिक्षित होकर समाज व देश की सेवा करने का हमेशा संदेश देती आ रही है। मंजू जाखड़ का कहना है कि महिलाओं के उत्थान में सरकार भी पीछे नहीं है। बीते कुछ सालों में सरकार द्वारा अनगिनत योजनाएँ चलाई गयी है जो महिलाओं कि सामाजिक बेडिय़ाँ तोडऩे में मदद कर रही है तथा साथ ही साथ उन्हें आगे बढऩे में प्रेरित कर रही है। सरकार ने पुराने वक्त के प्रचलनों को बंद करने के साथ साथ उन पर क़ानूनन रोक लगा दी है। जिनमें मुख्य थे बाल विवाह, भू्रण हत्या, दहेज़ प्रथा, बाल मजदूरी, घरेलू हिंसा आदि। इन सभी को क़ानूनी रूप से प्रतिबंध लगाने के बाद समाज में महिलाओं की स्थिति में काफी सुधर आया है। महिला अपनी पूरी जिंदगी अलग अलग रिश्तों में खुद को बाँधकर दूसरों की भलाई के लिए काम करती है। महिलाएं हर वक्त परिवार के मान सम्मान को बढऩे के लिए तैयार रहती है। शहरी क्षेत्रों में तो फिर भी हालात इतने खऱाब नहीं है पर ग्रामीण इलाकों में महिला की स्थिति चिन्ता करने योग्य है। सही शिक्षा की व्यवस्था न होने के कारण महिलाओं की दशा दयनीय है


। ----- १ मंजू जाखड़ का जीवन परिचय मंजू जाखड़ का जन्म आमेर के ग्राम चैतावाला के एक साधारण किसान परिवार में 5 अगस्त 1985 में हुआ। वे बचपन से ही प्रतिभा की धनी व समाज के लिए कुछ अच्छा कार्य करने का सपना देखती थी। इन्होंने प्रारभिक शिक्षा अपने गांव चैतावाल में की और10वी की पढई खोरा श्यामदास में की। उच्च शिक्षा के लिए चौमूं में स्थित बालिका विद्यालय मेें वर्ष 2004 में 12वी अच्छे अंकों से उत्तीर्ण की। हमेशा अच्छे अंकों से आगे रहने वाली मंजू जाखड़ ने राजस्थान विश्वविद्यालय से वर्ष 2009 में बीए व वर्ष 2010 में बीएड की डिग्री ली। इसके साथ ही एक एनटीटी का कोर्स व वर्ष 2015 में अपनी पढाई निरन्तर जारी रखते हुए राजनिति विज्ञान से एम ए की डिग्री प्राप्त की। --- ---- २ बेटा व बेटी में नहीं करे अन्तर मंजू जाखड़ का मानना है कि समाज में अभी कई जगह बेटे और बेटी की परवरिश में अन्तर रखा जाता है। जो गलत है, एक बेटी को भी परिवार में वहीं मान सम्मान मिलना चाहिए जो बेटे को मिलता है। उसकी शिक्षा, खान-पान, देखरेख आदि पर कोई अन्तर नहीं होना चाहिए। इसके साथ ही बेटी और बहू को भी एक समान ही प्यार व अपनापन मिलना चाहिए क्योंकि बेटी शादी के बाद दो परिवारों की प्रतिष्ठा बढ़ाती है। देश में आज सभी महत्वपूर्ण पदों पर महिलाओं का वर्चस्व स्थापित है। --- ३ आर्थिक स्थिति खराब होने पर भी नहीं मानी हार मंजू जाखड़ के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। उनके पिता स्व. श्री रामगोपाल जाखड किसान थे। उनकी माता सरस्वती देवी एक सफल गृहणी है। श्रीमती जाखड़ बताती है कि खेती में ज्यादा कुछ नहीं मिल पाता था, जो मिलता वो परिवार की परवरिश में ही पूरा हो जाता था। बाकि पढ़ाई लिखाई के लिए कुछ नहीं बचता था। घर पर पढ़ाई का माहौल नहीं था। सारा दिन खेती बाड़ी में ही खत्म हो जाता था। मेरे परिवार में दो भाई व मेंरी तीन बहने ओर थी। उन सब की जिम्मेदारी मेरे पिता पर ही थी। पर मैने हार नहीं मानी और माता पिता के आर्शीवाद से वर्ष 2017 में अध्यापक बनी और आज बच्चों के भविष्य उज्जवल करने का कार्य कर रही हूॅ। मंजू जाखड़ ने बताया कि निजी स्कूलों में प्री प्राइमरी कक्षाओं की अभिवाभकों से अत्यधिक फीस ली जाती है, लेकिन अब यही शिक्षा सरकारी विद्यालयों में भी अब निजी विद्यालयों की तरह दी जाने लगी है। ------ ४ उच्च शिक्षा पाकर दो परिवारों का किया नाम रोशन मंजू जाखड़ ने स्कूली शिक्षा से ही संघर्ष किया। बचपन में भी विद्यालय जाने के लिए कई किलोमीटर घर से विद्यालय पैदल ही जाना होता था। अपने मायके व ससुराल की प्रतिष्ठा को बढ़ाने के लिए श्रीमती जाखड़ ने न केवल मेहनत के बल पर उच्च शिक्षा की डिग्री ली, बल्कि दोनों परिवार में यह पहली महिला है जो सरकारी सेवा कर, परिवार व समाज का नाम रोशन कर रही है। ----- ५ पति ने दिया हर कदम-कदम पर साथ मंजू जाखड़ की शादी वर्ष 6 मार्च, 2003 में ग्राम चैतावाला निवासी राजीव कुमार देवेन्दा के साथ हुई। मंजू जाखड़ बताती है मेरी सफलता के पीछे मेरे पति राजीव कुमार देवेन्दा है। जिनका मुख्य व्यवसाय खेती व पशुपालन है। उन्होंने मेरी हर जगह मदद की। जब कभी मेरे मन में नकारात्मक विचार आने लगते तो वे ही मुझे आगे बढऩे की प्रेरणा देते थे। वहीं प्रेरणा मेरी सफलता का मंत्र बनी। इसके साथ ही मेरे ससूर स्व. श्री हनुमान सहाय देवेन्दा व मेरी सास नाथी देवी ने मुझे आगे बढने में सहायता की, वे हमेशा मुझे बेटी की तरह स्नेह व प्यार देती आ रही है। परिवार मेंं बेटी पूजा व बेटा आशिष है। ------ ६ पायस मिल्क प्रोड््यूसर कम्पनी की बनी जयपुर जिला निर्देशक मंजू जाखड़ की प्रतिभा को देखते हुए वर्ष 2012 में राजस्थान की अग्रणी दूग्ध उत्पादन कम्पनी पायस मिल्क प्रोड्यूसर कम्पनी में जयपुर जिला निर्देशक पद पर चुना गया। अपने कार्य से जाखड़ ने किसानों की पशुपालन सम्बधित सभी समस्याओं का निराकरण करने का पूर्ण प्रयास किया। जो आज भी चर्चा का विषय है उनके कार्य की क्षेत्र में आज भी प्रशन्सा होती है। डेयरी के माध्यम से पशुपालकोंं से सम्पर्क कर उन्होंने हर सम्भव पशुपालकों को उचित लाभ दिलवाया। ------- ७ इंडियन डेयरी एसोसिएशन ने किया जाखड़ को सम्मानित वर्ष 2016 में हरियाणा राज्य के करनाल जिले में एक विशेष कार्यक्रम के दौरान मंजू जाखड़ को पशुपालकों के किये गए महत्वपूर्ण कार्य के लिए विशेष सम्मान से नवाजा गया। यह कार्यक्रम इंडियन डेयरी एसोसिएशन द्वारा आयोजित किया गया था। कार्यक्रम में मंजू जाखड़ को डेयरी वुमन ऑफ दा ईयर अवार्ड से सम्मानित किया गया। इसके अलावा जयपुर में भी कई बडे कार्यक्रमों में श्रीमती जाखड़ का सम्मान किया जा चुका है।


पशुपालकों को दिखाई नई राह गॉंवों में शिक्षा के अभाव में किसान व पशुपालक कई बार नुकसान उठाता रहता है। उनकी समस्या को देखते हुए मंजू जाखड़ ने पशुपालक को दूग्ध उत्पादन का पूर्ण मूल्य मिले इसके लिए उन्होने लगातार कार्य किए। इसके साथ ही पशुपालकों के बैकों में खाते खुलवाए ताकि दुग्ध संकल्र केन्द्रों पर दिए गए अपने दुग्ध उत्पादन का बैकों के जरीए ऑन लाइन भी पैसा मिल सके। पशुधन का बीमा व समय-समय पर पशु चिकित्सकों द्वारा जांच करवाने जैसे महत्वपूर्ण कार्य में पूर्ण सहयोग किया। इसके साथ ही बाट व राशन बैंलेस के माध्यम से पशुओं की देखभाल करवाना जैसे कार्य का निरन्तर प्रयास जाखड़ द्वारा किया गया। --------