सामाजिक कार्यकर्ता उमा व्यास ने विदेश की धरती पर लहराया परचम


जयपुर@ त्याग तपस्या और बलिदान की धरती राजस्थान का नागौर जिला अपना अनुठा महत्व रखता है । यहां से मातृशक्ति के मान सम्मान और स्वाभिमान की रक्षा के साथ समर्पित आदर्श जीवन जीने वाले लोगों में महान कृष्ण भक्त मीराबाई, रानाबाई, कर्मा बाई, फूलाबाई जैसे अनेक नाम भारत की सनातन संस्कृति को गौरवान्वित करते हुए दिखाई देते रहे हैं। 

ऐसे ही वर्तमान दौर में अनेक बेटियों ने परिवार और समाज को ही नहीं बल्कि संपूर्ण राष्ट्र को वैश्विक स्तर पर गौरव्वांवित करने का अवसर प्रदान किया और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नारे को चरितार्थ करके दिखाया । उन्ही में से आज हम चर्चा कर रहे हैं सामाजिक कार्यकर्ता उमा व्यास की ।


सामाजिक कार्यकर्ता उमा व्यास एक सामान्य परिवार से निकलकर अध्यापिका के तौर पर अपनी श्रेष्ठ सेवाएं देते हुए वर्तमान में राजस्थान पुलिस में उप निरीक्षक के नाते श्रेष्ठ सेवाओं की ओर अग्रसर है। साथ ही प्रकृति एवं संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन को समर्पित संगठन श्री कल्पतरु संस्थान की सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी सेवाएं दे रही है। हाल ही में बागमती नदी संरक्षण की बात हो या फिर कार्बन क्रेडिट को लेकर जन जागरूकता का अभियान हो । उन्होंने श्री कल्पतरु संस्थान के वालंटियर के रूप में इंडो नेपाल ग्रीन मिशन के तहत नेपाल पहुंचकर भारत का नेतृत्व किया और वहां के केंद्रीय पर्यावरण मंत्री डॉ वीरेंद्र प्रसाद महतो से शिष्टाचार भेंट के दौरान जल, जंगल, जानवर और जमीन के संरक्षण को लेकर सार्थक चर्चा की। उमा के सार्थक प्रयासों को देखते हुए केंद्रीय वन मंत्री महतो ने संपूर्ण देश में संस्थान को और रोपण हेतु निशुल्क पौधे उपलब्ध करवाने सहित अन्य सहयोग का आश्वासन दिया। 

व्यास को संस्थान के ग्रीन लंगस प्रोजेक्ट का कोऑर्डिनेटर भी बनाया गया है । जिसके तहत भारत की पांच हज़ार साल पुरानी पौधरोपण की तकनीक के माध्यम से बड़े-बड़े जंगल लगाए जा रहे हैं । उमा समय समय पर पहुंचकर इनका निरीक्षण करती है और संस्थान को जमीन स्तर की जानकारी प्रदान करती है।

संस्थान की सक्रिय वालंटियर के रूप में उमा ने निशुल्क कल्पवृक्ष वितरण अभियान का भी शुभारंभ किया है । जिसके तहत देश भर में लाखों पौधे निशुल्क लगाएं और वितरण किये जा रहे हैं। उन्होंने इस यात्रा के दौरान मांगलियावास और बिलाड़ा सहित अनेक स्थानों पर जाकर प्राचीन कल्प वृक्षों पर शोध भी किया है।

उमा बताती है कि बचपन में नानी के द्वारा किए जाने वाले सेवा कार्यों को देखकर वह बहुत प्रभावित होती थी और आगे चलकर उन्होंने व्यक्तिगत स्तर पर हर संभव सेवा कार्यों में सक्रियता दिखाई । कुछ वर्षों पहले श्री कल्पतरु संस्थान के संपर्क में आने के बाद उन्होंने सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में अपनी निस्वार्थ सेवाएं देना शुरू किया। 

बचपन में नानी से प्रेरणा लेकर सेवा कार्यों से जुड़ने और वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सामाजिक क्षेत्र में पहचान बनाने वाली उमा व्यास प्रसिद्ध पर्यावरणविद् विष्णु लाम्बा को अपना आदर्श मानती है। उन्होंने बताया कि लाम्बा का जीवन राष्ट्र और समाज के लिए निस्वार्थ समर्पण का पर्याय है। उमा बताती है कि उनके परिवार के अनेक सदस्य श्री कल्पतरु संस्थान से जुड़े हैं और उनकी बड़ी बहन प्रतिदिन एक पौधा लगती ही नहीं उसका संरक्षण भी करती है। 

विद्यालय के अनुभव साझा करते हुए उमा ने बताया कि पहली बार स्कूल में गई तो बच्चों के दांत खराब थे और शरीर बदबू मार रहे थे । उन्होंने स्वयं के खर्चे से सभी को टूथपेस्ट ब्रश लाकर दिया और प्रतिदिन ब्रश करके और नहा कर आने की शपथ दिलाई । उसके बाद विद्यालय में छोटी सी शुरुआत से बड़ा परिवर्तन दिखाई देने लगा । उमा ने विद्यालय परिसर में ग्राम पंचायत को सहभागी बनते हुए श्री कल्पतरु संस्थान के सहयोग से पौधारोपण करवाया और उनके संरक्षण के लिए ट्रिगर्ड भी लगवाए । उनकी इन सराहनीय सेवाओं के लिए विद्यालय परिवार की ओर से भी सम्मानित किया गया है। 

महिला सशक्तिकरण की जीती जागती मिसाल उमा व्यास श्री कल्पतरु संस्थान की महिला शाखा के माध्यम से महिलाओं से जुड़े अनेक गंभीर मुद्दों पर भी कार्य करती है। उनकी प्रेरणा से अब तक सैकड़ो लड़कियों और महिलाओं के जीवन स्तर में बदलाव आया है।

वे वर्तमान में अजमेर जिले के एक राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में सेवाएं दे रही हैं और उनका चयन अब राजस्थान पुलिस में उप निरीक्षक के पद पर हुआ है। उमा सहित तीन बहने पुलिस में है।

बता दें कि उमा को उत्कृष्ट कार्यो के लिए हाल ही में वृक्ष मित्र पुरस्कार 2023 भी प्रदान किया गया है।